क्या इंसान सबसे सर्वश्रेष्ठ है...?
इंसान खुद ही प्राचीन धर्म ग्रंथों में और आज भी अपने आप को बाकी जीवों के मुकाबले सर्वश्रेष्ठ मानता आ रहा है क्या इंसान सच में सर्वश्रेष्ठ है जा इस ब्रह्मांड में कोई और भी इंसान से ज्यादा सबसे सर्वश्रेष्ठ है ? अगर इन बातों को सोचने लग जाओ तो कई सवाल उत्पन्न होते हैं। बाकी जीवों को देखकर कभी-कभी ऐसा लगता है कि इंसान सर्वश्रेष्ठ होने की बजाए यह सिर्फ एक दूसरों जीवो का कातिल बन गया है। यही इंसान की वजह से इस धरती पर कई जीवन जातियां खत्म हो चुकी हैं और हो रही है। यह इंसान तो खुद ही इंसान का दुश्मन भी बन चुका है और ऐसा आप सब ने खुद इतिहास के पन्नों में भी पढ़ा होगा और आज भी आप लोग यह सब देख रहे होंगे ।
हजारों सालों से इंसान धर्मों को लेकर एक दूसरे को काट रहा है लड़ रहा है और आज तक धर्मों की इस लड़ाई से इंसान बाहर नहीं निकल पाया कहीं धर्मगुरु आए और इस धर्म लड़ाई को खत्म करने के लिए उन्होंने लोगों को अपने-अपने वाणी से जागरूक किया पर यह इंसान उनको गुरु तो मानता है पर उनकी बताई हुई बातों उद्देश्यों को नहीं मानता। फिर यह सारा दोष कलयुग को दे देता है।
इंसान इतना स्वार्थी हो चुका है अपने स्वार्थ मैं यह भूल गया है कि जहां धरती पर उसके अलावा और भी जीव रहते हैं। जिनका इस धरती पर बराबर अधिकार हैं। पर यह इंसान इतना स्वार्थी हैं कि उन जीवों को भी गुलाम बना के रखता है जा अपनी भूख मिटाने के लिए उन को मारकर खा जाता है। फिर वह जिसका पूरा सेहरा सृष्टि को बताता है। क्योंकि यह इंसान अपने आप को बहुत तेज दिमाग और खोजी दिमाग मानता है। यही वजह है कि इंसान अपने आप को सबसे सर्वश्रेष्ठ मानता है।
पर मेरा मानना है कि इंसान सर्वश्रेष्ठ नहीं है वह कैसे कि इंसान के दिमाग में एक डर नाम की चीज है जो यह साबित करती हैं कि इंसान सबसे सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकता आखिर इंसान किस चीज से डरता है क्या वही चीज सर्वश्रेष्ठ है जिसे इंसान डर रहा है। हम खुद पर ही अजमा कर देखते हैं कि कहीं हम अकेले किसी समंदर या जंगल में चाहे दिन हो या रात हम जिन जीवों को अपने किचन में मार के खा जाते हैं वहां जाकर यहां हम अकेले हो जाते हैं हम उन्हीं जानवरों से डरने लग जाते हैं चाहे वो एक छोटी सी मुरगी क्यों ना हो या कोई बकरा हिरन या सांभर, शेर तो बहुत दूर की बात है। हम किसी जब गली से ही गुजरते हैं तो वहां एक कुत्ता बैठा हो हमें पता भी है कि हम शरीर की ताकत से उनसे काफी ताकतवर है पर फिर भी हम उस से भी डरते हैं। क्या डर की सबसे सर्वश्रेष्ठ है या फिर इंसान जिससे से डरता है वह सर्वश्रेष्ठ है। आखिर इंसान डरता किस से हैं...?
आपने देखा होगा कि कई इंसान तो भगवान से भी नहीं डरते जिसे किसी भाषा में गॉड प्रभु ईश्वर वाहेगुरु अल्लाह बोलते हैं। पर वही इंसान भगवान के नाम से ना डरने वाला कुदरती आफतों से मर जाता है या डर जाता है। जिसकी उदाहरण आप देख सकते हैं कि 2020 वर्ष में पूरी दुनिया एक महामारी से डरी पड़ी है। अगर कोई महामारी इंसान को इतना डरा सकती है तो ऐसी महामारी कई बार आई है और इंसान दोबारा इसे खत्म भी किया जा चुका है। अगर कोई भी महामारी खत्म हो सकती है तो फिर सर्वश्रेष्ठ कौन है? अब यह तो साफ हो चुका है कि इंसान सर्वश्रेष्ठ नहीं है पर सर्वश्रेष्ठ आखिर है कौन...?
इंसान की उत्पत्ति कहां से हुई क्या इंसान को किसने बनाया है क्या वह सर्वश्रेष्ठ है या फिर इंसान एक कीड़ा है जो खुद इस वायुमंडल में एक कीड़े की प्रभाती आस्ते आस्ते होंद में आया...?
अगर ब्रह्मांड की बात करें तो धरती भी एक ग्रह हैं अगर इसको सर्वश्रेष्ठ माने तो इसका अंत भी एक तारे की तरह तय है जिसको हजारों करोड़ों साल भी लग सकते हैं और अगर सूरज की बात करें जिसकी धूप से यहां जीवन उत्पन्न हुआ है या चल रहा है, उसका अंत भी तय हैं क्योंकि वह भी गैसों से बल रहा है अगर ब्रह्मांड पूरे की बात करें तो यहां अनगिनत गैलेक्सी है जिसका कोई पूरा प्रमाण नहीं है क्या पूरा ब्रम्हांड सर्वश्रेष्ठ है...? क्या जीवन और अंत ही सर्वश्रेष्ठ है...? क्या वह सर्वश्रेष्ठ हैं जो हमें दिखाई नहीं दे रहा...?
आखिर सर्वश्रेष्ठ है कौन...?
धन्यवाद।
By Er. Pardeep Babloo