सीधे-साधे लाचार लोग हमारी जिम्मेदारी...?

            ठंड बहुत पड़ रही थी और मैं सड़क पर किसी दुकान के बाहर आग सेक रहा था तो मैंने देखा कि वहां एक सीधा-साधा मेंटली अपसेट लड़का जो काफी गरीब लग रहा था जिसके कपड़े भी फटे पढ़े थे ओर उसकी उम्र भी तकरीबन 30-35 के बीच की थी तो उसको सभी रेहड़ी वाले जैसे गोलगप्पे फल वाले और पास के दुकान वाले सभी उसको तंग कर रहे थे और वहां एक पुलिस वाला भी आ गया वह भी हमारे साथ आग सेकने लगा और सभी उस को डराने के लिए कह रहे थे कि हम तुझे पुलिस में पकड़ा देंगे तो वह बेचारा डरता हुआ सड़क क्रॉस करके भाग गया और पीछे को देखकर बोल रहा था कि मैं डरता नहीं हूं। यह सब देखकर मुझे उस पर बड़ा तरस आया। मैने साथ वाले फ्रूट वाले से पूछा कि भाई यह कौन है तो उसने बोला कि भाई वह यही होता है सड़कों पर और ऐसे ही सड़कों पर घूमता फिरता हैं। जब हम सब इस को छेड़ते हैं तो फिर यह गुस्से में अजीब सी बातें करता है। फिर मैंने उसको पूछा कि भाई इसको कोई जरूरत हो किसी चीज की तु मेरे पास जूते और कपड़े पड़े है और ठंड बहुत है इसके काम आएंगे तो वह बोला यह ऐसा ही है शायद वह पहनेगा भी नहीं फेंक देगा।

           मैं वहां खड़ा अंदर ही अंदर सोचने लगा कि हमारे समाज मैं इन लोगों के प्रति क्या इज्जत हैं और हमारे समाज की इनको क्या देन हैं और हमारा समाज ऐसे लोगों को क्यों अलग नजर से देखता है...?

            मैं भी उन लोगों के बीच में खड़ा होकर ऐसा महसूस कर रहा था की शायद कहीं न कहीं मैं भी उनका साथ दे रहा हूं क्योंकि मैंने उनको रोका नहीं और देख रहा था कि वह उसके साथ कैसा दुर्व्यवहार कर रहे हैं।

            मेरे अंदर बहुत से सवाल उठ रहे थे के हमारे समाज में ऐसा क्यों हो रहा है...? क्या इन लोगों को बराबर जीने का अधिकार नहीं है...? यह लोग मजाक का केंद्र क्यों बन रहे हैं ओर इन लोगों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों हो रहा है...? इन लोगों के प्रति सरकार क्या कदम उठा रही है और इनके लिए कोई पेंशन प्रोग्राम जा कोई और योजना लागू कर रही है जा कोई आश्रम बना रही है...? अगर सरकार इन लोगों के प्रति जागरूकता नहीं ला रही है तो हमारा समाज इन्हीं लोगों के लिए क्या कर रहा है...?

मैं बस आप सभी लोगों के आगे यही विनती करता हूं कि इन लोगों को इनकी बनती इज्जत और छोटी सी ज़रूरतो को जरूर पूरा करें और ऐसे लोग हम लोगों में से ही बनते हैं और हमारा फर्ज भी है कि इनकी छोटी-छोटी जरूरतों को हम एकजुट होकर पूरा करें।

जय भारत



By Er. Pardeep Babloo

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