बेटिओं की लोहड़ी - बदलता समाज
लोहड़ी का त्यौहार सदियों से मनाया जाता आ रहा है और पंजाब में सबसे लोकप्रिय त्यौहार में से एक है। इस त्यौहार की उत्पत्ति कई ऐतिहासिक और परिमाणिक लोक कथाओं मैं हुई है और सबसे लोकप्रिय हैं दुल्ला भट्टी की कहानी जो एक डाकू होने के बावजूद गरीब लोगों की बेटियों को अपनी बेटियों के रूप में शादी करता था। और दुल्ला भट्टी ने पहली दो लड़कियां सुंदरी मुंद्री जो गरीब पिता की बेटियां थी जिनके सुंदर गीत सुंदर मुंद्रीय आज भी लोकप्रिय हैं और लोहड़ी पर गाया जाता है। दुल्ला भट्टी में लड़कियों की शादी करा कर समाज को एक बहुत अच्छा संदेश दिया है कि बेटियों को अपने सिर का ताज बनाकर रखें। यह लोहड़ी का गीत बहुत लोकप्रिय हैं :-
सूंदर मुंदरिये ...... हो
तेरा कौन विचारा ...... हो
दुल्ला भट्टी वाला ....... हो
दुल्ले धी विआही ....... हो
शेर शकर पाई ....... हो
कुड़ी दा लाल पटाका ....... हो
कुड़ी दा शालू पाटा ....... हो
शालू कोंन समेटे .......हो
चाचे चूरी कुटी .......हो
जिमींदारा लुटी ....... हो
जिमींदार सुधाये ....... हो
बडे भोले घाये ....... हो
इक भोला रह गया
सिपाही फड़के ले गया
सिपाही ने मारी ईट
सानू दे दे लोहरी तेरी जीवे जोड़ी।
लोहड़ी का त्यौहार विभिन्न बदलते समाज में और विभिन्न परिस्थितियों के बीच 20 वीं सदी में प्रवेश कर चुका है।
पहले केवल लोहड़ी का त्यौहार के अवसर पर लड़कों की लोहड़ी मनाई जाती थी लेकिन आज समाज की बदली हुई सोच के कारण बेटियों की लोहड़ी भी मनाई जाने लगी है जो सभी प्रकार के समाज के लिए एक महान संदेश है।
इससे पहले पंजाब मैं बेटियों की जन्म दर बहुत कम थी और बहुत चिंता का विषय बना हुआ था। एक के बाद दूसरी बेटी के जन्म के डर से कई लोग पहले ही अस्पताल मैं जाकर डॉक्टरों से भ्रूण की जांच शुरू कर देते थे और कुछ पैसों के लालच में डॉक्टर भी लड़की के पता चलते हुए भ्रूण हत्या में शामिल हो जाते थे। और वह अपनी अजन्मी बेटी को मार डालते और अपनी सास और पति के डर से मां भी इस हत्या में भागीदार बनने के लिए मजबूर हो जाती थी।
और सरकार और कानून की और लोगों में बढ़ती जागरूकता के कारण भ्रूण हत्या और इस हत्याओं की दर में भारी कमी आई है और आज समाज को समझ आ गया है कि बेटियां आज अपने माता-पिता की सेवा देखभाल लड़कों की तुलना अधिक करती हैं और लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
आज पंजाब और हर देश में लोग एक नवविवाहित जोड़ें और एक नए पैदा हुए लड़के का लड़की के लिए नई इच्छाओं के साथ लोहड़ी का त्यौहार मना रहे हैं।
पंजाब में रहती मेरी मां बेटियों और बहनों को दिल से दुआएं और हैप्पी लोहड़ी।
By Pardeep Babloo