संगीत जगत का बदलता रुख...?
संगीत जगत के नए कलाकारों ने बहुत घमासान मचाया हुआ है। रोज नया गायक जनम ले कर बुलेट के पटाखे, काली नागणी, पेग्ग जैसे लफज, कोई दोनाली के शरो की बात, और कोई मार काटने और नशों की बात कर रहा है और कभी कर्जों के नीचे मर रहे किसानों को जाट नाम दे कर घसीट रहे हैं अपने गानो के रूप में। सिर्फ अपने २ - ४ दिनों के लिए नाम चमकाने के लिए नोजवानों को कुराहे डाल रहें हैं यह गयक। पर यह गायक उस भुगाने की तरह होते हैं जितना टाइम गैस उतना टाइम उड़ते फिर फुस हो बैठ जातें हैं।
कभी आप सभने सुना जा देखा इनहो के नाम के सामने उस्ताद लगा...? मैं बताता हूं कि कभी नहीं देखा होगा क्योंकि यह गायक क्लासिकल का एबीसी भी नहीं जानते और जो क्लासिकल जानते हैं वह इनो गायकों की लिस्ट में नहीं आते और हमेशा तारों की तरह चमकते हैं और रुहानी सभा में गाते बजाते हैं।
आज संगीत जगत में नया मोड़ आ रहा है और लोग सीखना और सुनने के लिए क्लासिकल को तरजीह देने लग गए हैं और साफ सुथरा सुनने में विश्वास कर लग गए हैं।
भारत देश शुरू से ही संगीत जगत में क्रियाशील देश रहा है और जहां गुरु पीर भी संगीतक धुनो पर जीवन जांच सिखाते चले गए।
क्लासिकल ग्रामीणों की भारत को बहुत बड़ी देन है पर आज के गायको की वजह से क्लासिकल घराने पर्दों के पीछे रह रहे हैं।जिनहों का संगीत एक जादू आज की पीढ़ी तक पूरी तरह नहीं पहुंच रहा इसका मुख्य कारण संगीत का कारोबार है।
श्याम चौरासी घराने की बात करें तो भारत के बंटवारे दौरान हमारे से यह घराने के कोहिनूर उस्ताद नजाकत अली खान साहब और उस्ताद सलामत अली खान साहब हमारे से बिछड़ गए थे और अपना संगीतमय रूपांतरण छोड़ गए थे। अब लहिंदे पंजाब मैं घराने की वारिस उस्ताद सलामत अली खान साहब के सुपुत्र उस्ताद शफकत अली खान साहब संगीत तक सेवा निभा रहे हैं।जो कि इस समय ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी यूके में प्रशासक के तौर पर क्लासिकल संगीत सिखा रहे हैं।
चढ़ते पंजाब में शाम चौरासी घराने की सेवा होशियारपुर के गांव मानिकढेरी से सव. उस्ताद दोलती सिंह जी के सुपुत्र उस्ताद भाई हीरा सिंह रतन जी और गांव बोदल बेरछा से उस्ताद भाई सतनिंदर सिंह जी कर रहे हैं।
पटियाला घराना (Patiala Gharana), किराना घराना (Kirana Gharana), ग्वालियर किराना (Gawalier Gharana), आगरा घराना (Agra Gharana) इंदौर घराना (Indore Gharana), मेवाती घराना (Mevaati Gharana), जयपुर घराना (Jaipur Gharana), साहसवन घराना (Sahaswan Gharana) और भिंडी बाजार घराना (Bhindibajaar Gharana) - यह घरानों की बदौलत आज भी देश भारत मैं क्लासिकल संगीत लोगों के दिल में जीता है।
धन्यवाद।
By Pardeep Babloo