चार दिन का मेहमान - Sakhi Baba Pipal Dass Maharaj Ji Sachkhand Ballan

                     यह साखी गाँव बल्लां की है। बंनता राम, जस्सा राम और मस्सा राम तीन भाई थे। एक दिन बाबा पिप्पल दास जी इन्हों के घरों के आगे से जा रहे थे तो बाबा जी ने खेलते बच्चों की और देखा। कुछ बजुर्ग पास बैठे थे तो बाबा जी ने पूछा कि यह किसकी औलाद हैं ? तो एक बजुर्ग ने बताया कि यह तो फलाणे का अंश है। यह सुन कर बाबा जी ने कहा कि बंनता राम तो चार दिन का मेहमान ही है। बाकी मस्सा राम और जस्सा राम के घर कभी दाने ख़त्म नहीं हुआ करेंगे और इस वकत इन दोनों की उम्र कर्मवार 80 और 85 साल की होगी। यह बचन कह कर बाबा जी आगे चल पड़े। ठीक चार दिनों के बाद श्री बंनता राम की मौत हो गई। बाबा पिप्पल दास जी का बचन अटल हुआ। श्री लेहिंबर राम जी ने बताया कि बाबा जी के बचनो के अनुसार हमारे कभी दाने ख़त्म नहीं हुएं हमेशा बढ़ोतरी ही रहती है। 

{ यह तो आम ही बात प्रसिद्ध हो गई थी कि बाबा पिप्पल दास जी ना सिर्फ सत्संग और भजन करते थे बल्कि बहुत सी साखिओं में सांगत जी ने पढ़ा होगा कि बाबा पिप्पल दास जी सिर्फ वाक् ( बचन ) ही दे कर अपनी संगत का कारज ( भला ) कर देते थे }

इसी करके उन्हों के बचनो से संगत बहुत लाभ लेती थी। यह साखी श्री लहिंबर राम गाँव बल्लां जी ने सुनाई। 

में से :- वैराग्य साखी सागर - 1

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