जन्म स्थान , जीवन साखी और परिवार ( Birth place , Life Story and Family ) Baba Pipal Dass Maharaj Sachkhand Ballan
बाबा पिप्पल दास जी का जन्म गाँव गिल्ल पत्ती जिला बठिंडा विखे हुआ । आप जी के जन्म समय से ही चिहन परमात्मा की भगति करने वाले थे। आप जी के माता पिता जी आप जी से बहुत प्यार करते थे। भगति का जज्बा परमात्मा की किरपा से बचपन से ही मन में भरा हुआ था।
बचपन में 6 - 8 साल की अवस्था में आप जी ने गुरमुखि की विद्या और नामदान की दीक्षा संत मोहन दास उदासी संतो से प्रपात की। गुरमुखि सीखने के साथ - साथ धार्मिक किताबों , जैसे गुरु ग्रन्थ साहिब ( Guru Granth Sahib ) की कथा , एकांत में बैठना और ग्रंथो को पढ़ना आप जी को बहुत पसंद था। आप जी ने प्रभु भगति को अपने जीवन का आधार बनाया हुआ था और प्रभु भगति में ही मगन रहते थे। आप जी के पूर्वज यानि दादा जी गाँव कुतिवाला के वसनीक थे। फिर थोड़ा समय गाँव जोगानंद रहकर गाँव गिल्ल पत्ती आ कर बस गए।
बीबी सुरजीत कौर पत्नी श्रीमान मोघा सिंह वासी गाँव मोड़ बठिंडा , के बताने मुताबिक बाबा योदा जी , बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) के पिता जी थे और गाँव कुतिवाल के निवासी थे। और इन्हो के पास 8 एकड़ जमीन थी। खेती बाड़ी के साथ साथ बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) जोड़े बनाने और गंधनें का काम भी करते थे। गाँव कुतिवाल विखे लोगों से झगड़ा हो जाने के कारन गाँव गिल्ल पत्ति के लोग बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) को पगड़ी दे कर गाँव गिल्ल पत्ति ले आये थे क्योंकि गाँव गिल्ल पत्ति वासिओं ने बाबा जी को 16 एकड़ जमीन ( दोगुनी जमीन ) देने का वादा किया था। और यह भी बिनती की थी कि हमारे गाँव आकर रहो क्योंकि हमारे गाँव में कोई जोड़े बनाने / गांधने वाला नहीं है। फिर बाबा योदा जी से गाँव कुतिवाल विखे किसी से झगड़ा हो गया जिस में बाबा योदा जी पर तलवार से कंधे के पास चोट लगी और बाबा जी जख्मी हालत में ही गाँव से भागे और गोबिंदपुरा आकर गिर गए यानि सवर्ग सुधार गए। बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) को पता लगने पर बाबा जी अपने पिता जी को गाँव गिल्ल पत्ति लेकर आये और संस्कार किया। गाँव गिल्ल पत्ति विखे जमीन में लगी बेरी के पेड़ नीचे बाबा योदा जी का ( छोटा मंदिर ) मटी बनाई। इस तरह माजूदा हालत में बेरी के पेड़ के नीचे बनी मटी बाबा योदा जी की है।
परिवार :-
बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) की एक बेटी भी थी जिन्हो का नाम संत कौर था और जो की गाँव धिंगन ( पास का गाँव घुदे कमाली ) जो कि गाँव से 5 किल्लोमीटर पर है , विखे विआही हुई थी। बीबी संत कौर जी का एक बेटा भी था जिस का नाम निहाल सिंह था जो कि कुंवारा ही था और उसकी मौत हो चुकी थी। बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) का बड़ा बेटा नानक दास , बीबी शमा कौर के साथ शादी हो चुकी थी। नानक दास जी की मौत हो जाने पर बीबी शमा कौर जी का विवाह उससे छोटे भाई चूहड़दास / संत सेवा दास जी से कर दिया गया था। इस तरह नूह की उम्र कम होने के कारन और जमीन की देखभाल करने के लिए बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) गाँव गिल्ल पट्टी से जाने के समय साथ नहीं ले कर गए थे।
बेटी संत कौर से मिलने जाना :-
बाबा हरनाम दास जी ( बाबा पिप्पल दास जी ) एक बार अपनी बेटी संत कौर से मिलने उन्हों के गाँव गए थे। बाबा जी अपने हाथ में चिप्पी रखते थे जिस में जल होता था। बेटी ने पूछा था कि बाबा जी आप मेरे घर कितने समय तक रुकोगे ? तो बाबा जी ने कहा था कि बेटी जितना समय इस चिप्पी में जल रहेगा उतना समय हम तेरे घर रहेंगे। मतलब कि वह बेटी के घर का कुछ भी खाते पीते नहीं थे। इसी लिए बाबा जी ने कहा था कि जब चिप्पी में से जल ख़त्म हो जायेगा हम चले जायेंगे।
वंशावली हरनाम दास जी / संत पिप्पल दास जी :-