परमात्मा से मिलाप ( Union with the Divine )

एक आठ साल का छोटा सा बच्चा अक्सर परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये। 

                    एक दिन उसने 1 थैले में 5-6  रोटियां रखी और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया। संध्या का समय हो गया। उसने देखा नदी के तट पर एक बजुर्ग बूढ़ा बैठा है। ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इंतज़ार में वहां बैठा उसका रास्ता देख रहा हो।

                    वो आठ साल का मासूम बालक, बजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया। अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया और उसने अपना रोटी वाला हाथ बूढ़े की और बढ़ाया और मुस्करा के देखने लगा, बूढ़े ने रोटी ले ली। बूढ़े के झारूरियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गयी। आँखों में ख़ुशी के आँसू भी थे। बच्चा बूढ़े को देखे जा रहा था। जब बूढ़े ने रोटी खा ली तो बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी।

                    बूढ़ा अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और सनेह के पल बिताये। जब रात घिरने लगी तो बच्चा इजाजत ले घर की और चलने लगा। वो बार बार पीछे मुड़ कर देखता, तो पाता बजुर्ग बूढ़ा उसी की और देख रहा था। बच्चा घर पोहंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने लगी, बच्चा बोहत खुश था।

                    माँ ने अपने बच्चे को इतना खुश पहली वार देखा तो ख़ुशी का कारण पुछा, तो बच्चे ने बताया - माँ आज मैंने परमात्मा के साथ बैठ कर रोटी खाई, आपको पता है उन्होने भी मेरी रोटी खाई। माँ परमात्मा बहुत बूढ़े हो गए है। मै आज बहुत खुश हूँ माँ।

                    उस तरफ बजुर्ग बूढ़ा भी जब अपने गाँव पोहंचा तो गाँव वालो ने देखा कि बूढ़ा बहुत खुश है। किसी ने उनके खुश होने का कारण पुछा?

                    बूढ़ा बोला- मै दो दिन से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था, मुझे पता था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे। आज भगवान् आये थे, उन्होने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई, मुझे भी बहुत प्यार से खिलाई। बहुत प्यार से मेरी और देखते थे। जाते समय मुझे गले भी लगाया। परमात्मा बहुत ही मासूम है, बच्चे की तरह दिखते है।

इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है। असल में बात सिर्फ इतनी है की दोनों के दिलों में परमात्मा के लिए प्यार बहुत सच्चा है, और परमात्मा ने दोनों को, दोनों के लिए, दोनों में ही खुद (परमात्मा) को भेज दिया। जब मन परमात्मा भक्ति में रस जाता है तो हमें हर एक में वो ही नज़र आने लग जाते है।

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