अच्छाई पलट - पलट कर आती रहती है - A True Story of Sir Randolph Fleming - Winston Churchill

                    ब्रिटैन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग ( Fleming )नाम का एक गरीब किसान रहता था। एक दिन वह अपने खेत पर काम  कर रहा था। एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था। अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी। किसान  अपना साजो सामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ भागा। 

                    आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा कि एक बच्चा दलदल में डूब रहा था। वह बालक कमर तक कीचड़ में फंसा हुआ बहार निकलने के लिए संगर्ष कर रहा था। वह डर  मारे बुरी तरह कांप रहा था और चिल्ला रहा था। 

                    किसान ने आस पास में लंबी टहनी ढूंढी। अपनी जान पर खेलकर उस टहनी के सहारे बच्चे को बाहर निकाला। अगले दिन उस किसान की छोटी सी झोपडी के सामने एक शानदार  गाड़ी आकर खड़ी हुई। उसमें से कीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे। 

                    उन्होंने किसान को अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं उस बालक का पिता हूँ और नाम रैन्डोल्फ चर्चिल ( Randolph Churchill ) है। फिर उस अमीर रैन्डोल्फ चर्चिल ने कहा कि वह इस एहसान का बदला चुकाने आए हैं।

                    फलेमिंग ( Fleming ) नामक उस किसान ने उन सज्जन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसने कहा," मैंने जो कुछ किया उसके बदले में कोई पैसा नहीं लूँगा। किसी को बचाना मेरा कर्तव्य है, मानवता है, इंसानियत है और उस मानवता इंसानियत का कोई मोल नहीं होता। "

                    इसी बीच फलेमिंग का बीटा झोपडी के दरवाजे पर आया। उस अमीर सज्जन की नजर अचानक उस पर गई तो उसे एक विचार आया। उसने पूछा - " क्या यह आपका बेटा है ?" किसान ने गर्व से कहा हाँ।

                    उस व्यक्ति ने अब नए सिरे से बात शुरू  करते हुए किसान से कहा -" ठीक है अगर आपको मेरी कीमत मंजूर नहीं तो ऐसा करते हैं कि आपके बेटे की शिक्षा का भार मैं अपने ऊपर लेता हूँ। मैं उसे उसी स्तर की शिक्षा दिलाने की व्यवस्था करूँगा जो अपने बेटे को दिलवा रहा हूं। फिर आपका बेटा आगे चलकर एक ऐसा इंसान बनेगा, जिस पर हम दोनों गर्व महसूस करेंगे। "

                    किसान ने सोचा, " मैं तो अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिला पाउँगा नहीं और ना ही सारी सुविधाएँ जुटा  पाउँगा, जिससे कि यह बड़ा आदमी बन सके। अत: इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता हूँ।"

                    बच्चे के भविष्य की खातिर फलेमिंग तैयार हो गया। अब फलेमिंग के बेटे को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। आगे बढ़ते हुए उसके बेटे ने लन्दन के सेंट मैरीज मेडिकल स्कूल से सनातक डिग्री हासिल की।

                    फिर किसान का यही बेटा पूरी दुनिया में " पेनिसिलिन ( Penicillin )" का आविष्यकारक महान वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फलेमिंग ( Sir Alexander Fleming ) के नाम से विख्यात हुआ।

                        यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती ! कुछ वर्षो बाद , उस अमीर के बेटे को निमोनिया हो गया और उसकी जान पेनिसिलिन के इंजेक्शन से ही बची। 

                    उस अमीर रैन्डोल्फ चर्चिल के बेटे का नाम था - विंस्टन चर्चिल ( Winston Churchill ) , जो दो बार ब्रिटैन के प्रधानमंत्री ( British President ) रहे। है ना आश्चर्यजनक संजोग।

                    इसलिए कहते हैं कि वयक्ति को हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए क्योंकि आपका किया हुआ काम आखिरकार लौटकर आपके पास  आता है ! यानि अच्छाई पलट पलट कर आती रहती है ! यकीन मानिये मानवता की दिशा में उठाया कदम आपकी सवयं की चिंताओं को कम करने में उठाया गया प्रत्येक कदम आपकी सवयं की चिताओं को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा। 

                    यही जिंदगी जीने का सार है।

                    जीवन भी कुछ ऐसा ही है ,
                    जो झुकता है वो अवश्य ,
                    कुछ ना कुछ लेकर ही उठता है। 

                    धन्यवाद।

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