सतगुरु का हुक्म (Satguru's Order)

                            एक रेलवे लाइन के पास काँटा ठीक करने वाला नौकर था। उसके दो बच्चे रेलवे लाइन पर खेल रहे थे। उधर से गाडी का सिगनल हो गया। अब अगर वह दौड़ कर बच्चो को बचाता है तो उसे पोहचने में देर हो जाती और अगर वो काँटा बदल देता तो गाडी गिर जाती और हज़ारो लोग मर जाते।

                            उसने जोर से बच्चो को हुकम दिआ, लेट जाओ। उनमे से इक बच्चा फौरन लेट गया, दूसरा कहने लगा, क्यों लेटूँ? इतने में गाडी आ गयी। जो लेटा था वो बच गया और जो कहता था "क्यों?" वह कट गया। जिसने बाप का हुकम माना वो बच गया।

                            इसी तरह सतगुरु का हुकम ऐबो-पापों से बचाता है। अगर पूछे,'ये बात मुझे क्यों कही', तो यहाँ क्यों कहने की गुजाइंश नहीं रहती।



Popular posts from this blog

जनेऊ संस्कार - Sakhi Shri Guru Nanak Dev Ji - Guru ki sakhiyan

आखरी सत्संग - Sakhi Baba Jaimal Singh Maharaj Ji

जन्म स्थान , जीवन साखी और परिवार ( Birth place , Life Story and Family ) Baba Pipal Dass Maharaj Sachkhand Ballan

मौत की ख़ुशी (Maharaj Sawan Singh Ji)

अरदास (Pray)