आखरी सत्संग - Sakhi Baba Jaimal Singh Maharaj Ji

                    साध संगत जी यह साखी से पंजाब की संगत तो अवगत है लेकिन जो पंजाब के बाहर की प्यारी संगत है वह इस साखी से अवगत नहीं है। हमने सोचा के आपको हम इस साखी के बारे में जरूर रुबरू कराएं।

                    25 अक्टूबर 1903 को बाबा जी महाराज (बाबा जैमल सिंह जी महाराज ) ने आखरी सत्संग किया। संत्संग करने से पहले उन्होंने बता दिया कि " साध संगत जी आज जो सत्संग होगा वोह मेरा आखरी सत्संग होगा।  इसके बाद मैं सत्संग नहीं करूँगा जो मेरे बाद जो इस गद्दी पर बैठे गा , वही सत्संग करेगा। मुझे अकाल पुरख वाहिगुरु का हुकम है कि मैं सत्संग  करूं ( बानी कहती है कि " जैसी आवे खसम की बानी तेसरा करी ज्ञान वे लाओ " अर्थात जो वाहिगुरु अपने हुकम से मेरे से बुलवा रहा है मैं वही बोल रहा हूँ )

                    तो आप बता दो कि मैं किस बानी पर सत्संग करूँ वही मैं आपको सुना देता हूँ क्योंकि इसके बाद मैंने सत्संग नहीं करना। 

                    इतना कहने पर एक सिख उठा और कहने लगा कि हजूर  सच्चे पातशाह हमारी बुद्धि कोई काम नहीं करती है , हमारी क्या औकात है हम  आपको बताएं कि किस बानी पर आप सत्संग करें और कोनसी बानी सत्संग के लिए अच्छी है अगर आपने किरपा करनी ही है अगर कुछ बताना ही है तो वह बात बताओ जो सारी जिंदगी हमे नहीं बताई। 

                    तभ महाराज जी ने तीन बार अपने पट्ट ( जांघ ) पर हाथ मारकर कहा लो मैं आज आप सब को जाता जाता एक बात बता जाता हूँ कि जिस घर में एक प्रेमी सत्संगी पैदा हो गया तो उस घर का कोई भी सदस्य चाहे नाम ले चाहे ना ले वो नरकों की अग्नि में नहीं सड़ेगा और उसको फिर मनुष्य जनम मिलेगा और पूरे गुरु से नाम प्राप्त होगा तो साध संगत जी इतनी नाम की मेहमा है , जिसको हमने सिर्फ ले कर रख छोड़ा है। अंतिम समय में जिनको नाम नहीं भी मिला जो सत्संगिओ का रिश्तेदार है उनकी मौत पर भी बाबा जी आते हैं। 
( इसकी साखी भी हम इस वेबसाइट पे लिखेंगे सांगत जी )

                    बाबा जी ने कहा अर्ज यही है कि ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन करें ता की हम ज्यादा से ज्यादा जीवों का उद्धार करवा सकें। मजूद सरकार जिनके जिनके पीछे पांच हाथो की शक्ति है बार बार हम यही बिनती करते हैं अगर भजन करेंगे तो सारे परिवार को सचखंड ले जायेंगे ( गुरु तारे कुटुंब सभ )

                    बहुत सी साखिआ सत्संगिओं की खुद की बनाई होती है मगर यह साखी बिलकुल सच्ची है जी।

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