मौत की ख़ुशी (Maharaj Sawan Singh Ji)

                    ढिलवां  गाओं का जिक्र है। एक इस्त्री शरीर शोड्ने लगी तो अपने घर वालो को बुलाकर कहा, "सतगुरु आ गए है, अब मेरी तैयारी है। उम्मीद है कि आप मेरे जाने के बाद रोओगे नहीं क्योंकि मै अपने सच्चे धाम को जा रही हु। इससे ज्यादा और ख़ुशी की क्या बात हो सकती है की सतगुरु खुद साथ ले जा रहे है। उसके बेटे कहने लगे कि हमारा क्या होगा? तो वो शांति से बोली, "आप अपना खुद सम्भालो "।


                    जब मौत क वक़्त गुरु सामने आ जाये तो और क्या चाहिए? अगर आप टाट का कोट उतारकर मखमल का कोट पहन ले तो आपको क्या घाटा है? अगर आप इस गंदे देश से निकल कर कुल-मालिक क देश में चले जाए तो आपको और क्या चाहिए? 


                    अगर कोई आदमी इस दुनिआ में ख़ुशी-ख़ुशी मरता है तो केवल शब्द का अभियासी है बाकी कुल दुनिआ, बादशाह से लेकर गरीब तक, रोते हुए ही जाते है।

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